त्रियुंड, धर्मशाला हिमाचलप्रदेश (प्रकृति के हसीन नज़ारे के बीच एक बेहतरीन ट्रेकिंग स्थान)
=> त्रियुंड ( धौलाधार वादियो की गोद में बसा एक बेहतरीन ट्रेकिंग और टूरिस्ट स्थान
=>धौलाधार की ढ़की सफेद चादरो के बीच में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बसा बेह्तरीन ट्रेकिंग के लिए स्थान -
वैसे तो त्रियुंड आप किसी भी समय जा सकते हो पर त्रियुंड गर्मियों के लिए बेहद ही खास जगह है। त्रियुंड गर्मियों में ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए खास प्रकार की जगह है। जहां पर पहाड़ों में बसे इस स्थान को आसमान से छूते हुए काफी करीब से महसूस कर सकते हो। आप जिला कांगडा (हि•प्र•) से इस स्थान के लिए मात्र 18 किलोमीटर की दूरी में आ सकते हो। धर्मशाला से इस स्थान की दूरी लगभग 8 या 10 किलोमीटर के करीब है। यहां से आप अलग -अलग रास्तों में भी आ सकते हो। ट्रेकिंग गाइड की सहायता से आप इस स्थान पर यात्रा कर सकते है। इसके लिए आप अलग अलग वेबसाइट में जाकर ट्रेकिंग के लिए बुकिंग भी करवा सकते है।
Triund Valley Dharamshala,Himachal pradesh. Lets explore with Rajat Travelogue(Himalayan Tiger) |
त्रियुंड को धर्मकोट का भाग भी कहा जाता है। इसकी समुद्रतल से ऊंचाई 2,828m है। इस ट्रेक में जाना मानो एक तरोताजा और खासकर धौलाधार पहाडी को देखने का नज़ारा और अनुभव बहुत ही बेहतरीन है। इस ट्रेक के लिए आप अलग-अलग स्थानो से आप जा सकते है, और साहसिक खेलों का आनंद भी ले सकते है।
भागसूनाग मंदिर या झरने और अपर धर्मकोट से भी बेहद शानदार नज़ारे है। जहां से आप छोटे-छोटे झरनों के बीच में से होते हुए इस स्थान के लिए लगभग 6-7 किलोमीटर के करीब जा सकते है। रास्ते में आपको बुराशं का फूल(Rhododendron) देखने देखने को मिल जाएगा, जिसका उपयोग दवाई और अन्य घरेलु चीजों के लिए किया जाता है। इसका उपयोग खासकर चटनी, जूस और अन्य बहुत सारी चीजों में किया जाता है। यह फुल खासकर पहाडो के मध्य तापमान के बीच पाया जाता है। रास्ते में आप छोटे-छोटे अनेक प्रकार के उपयोग में लाए जाने वाले पौधे, फल एवं फुल भी देख सकते हो। त्रियुंड में धौलाधार पर्वत श्रृंखला के नीचे एक विश्राम गृह है, जिसकी धर्मशाला वन्य-विभाग से बुकिंग होती है। आप वन्य विभाग धर्मशाला से इसकी बुकिंग भी करवा सकते है
=>कैसे पड़ा इस जगह का नाम त्रियुडं-
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यहां पर ब्रिटिश समय में लमबरदार(जिसे जमीन से संबधित कार्य सौपें जाते थे। उन्होंने ब्रिटिश समय में इन तीनों पहाड़ियों के हिस्से को विभाजित किया या बांटा था। तीनों पहाड़ियों के विभाजन के कारण ही इस जगह का नाम त्रियुंड पड़ा।
=>त्रियुंड में है छोटे-छोटे अनेकों मंदिर-
लोगों की आस्था का प्रतीक और त्रियुंड जाती बार आपको अलग-अलग स्थान देखने को मिल जायेंगे। त्रियुंड में विशेषकर दो मंदिर है जिसमें पहला मंदिर और शिवलिंग शिव भगवान का है, और दूसरा मंदिर है दुर्गा माता का मंदिर वहाँ भी आप दर्शन कर सकते हो।
Small temple in the mid of Dhauladhar Range |
=> त्रियुंड में गद्दी समुदाय-
त्रियुंड की ओर जाते समय आपको एक गद्दी समुदाय के बारे में देखने सुनने और गाँव देखने को मिल जायेंगे। यहां पर गद्दी प्राय चम्बा, लाहौल- स्पिति, कुल्लू , मंडी की सीमाओं में अपनी भेड़-बकरिया चराने जाते है, और बहुत दूर तक अपनी मवेशियों को चारे के लिए एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं
=>यहां पर कैसे पहुंचे-
1.रेलमार्ग द्वारा-
अगर आप दिल्ली से रेलमार्ग द्वारा आ रहे है तो नजदीकी रेल्वे स्टेशन पठानकोट हैं जिसकी कुल दूरी यहां से 85 किलोमीटर है।
2.अन्य रेलमार्ग काँगडा-
अन्य विकल्प पठानकोट से कागडाँ के लिए रेल्वे स्टेशन है, जो कि नैरो गेज ((Narrow Gauge) है। ध्यान रखें यहां के लिए ट्रेन बहुत ही कम चलती है। तो अपनी टिकट पहले ही कन्फर्म करवा ले।
3.हवाई जहाज की यात्रा करके-
यहां का नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल एयरपोर्ट काँगङा है, जिसकी दूरी धर्मशाला से लगभग 14-15 किलोमीटर के करीब है। तो आप दिल्ली से टिकट बुक करवाके इस जगह के लिए बड़ी आसानी से आ सकते है।
=>बस और टैक्सी द्वारा-
धर्मशाला शहर टैक्सी और सार्वजनिक वाहनों से पूरी तरह जुड़ा हुआ है तो आप किसी भी वाहन की मदद से यहां पर काफी आसानी से पहुंच सकते है।
=>रहने और खाने की व्यवस्था-
बहुत सारे होटल आपको वेबसाइट में देखने को मिल जायेंगे और आप उन होटल में ऑनलाइन बुकिंग भी करवा सकते हैं। यहां पर आप हिमाचल टूरिजम की वेबसाइट में जाके भी ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते है ।
=>कब पहुंचे-
यहां पर आप बर्फबारी और बरसात के मौसम में आने वाले से बचें। इसके अलावा यहां पर पूरा साल आप आ सकते है।
Thanks a lot by Rajat Travelogue (The Himalayan Tiger)
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